निम्नलिखित शब्दों को कहानी में ढूँढ़कर उनका अर्थ समझो। अब स्वयं सोचकर इनसे वाक्य बनाओः

खोंसना जमघट टटोलकर कुढ़ना ठहाका अगुआ पुचकारना खलना हेकड़ी तारीफ़


खोंसना (फँसाना)- साड़ी खोंसकर पहनो तो कभी खुलेगी नहीं।

अगुआ (आगे रहने वाला)- राजेश हर काम की अगुआई करता है।


जमघट (भीड़) - निशि बेहोश हो गई तो स्कूल के छात्रों का जमघट लग गया।


पुचकारना (प्यार करना या मनाना)- बच्चों को खाना खिलाने के लिए उन्हें पुचकारना पड़ता है।


टटोलकर (छूकर अंदाजा लगाकर)- अंधेरे में दिये को टटोलकर ढूंढना पड़ा|


खलना (कमी का एहसास होना)- राजप्पा ने जब नागराजन का अलबम जला दिया तो बाद में उसे यह बहुत खला|


कुढ़ना (ईर्ष्या होना)- दूसरों की सफलता देखकर कुढ़ना अच्छी बात नहीं है।


हेकड़ी (घमंड)- श्याम अपनी कक्षा में हर किसी को हेकड़ी दिखाता है।


ठहाका (जोर की हँसी)- क्लास में रेनू ठहाके मारने लगी।


तारीफ़ (प्रशंसा)- हर कोई राजप्पा के अलबम की तारीफ करता है।


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